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पं. पू. संत श्री गुरुदेव बाबाजी

श्री श्री 1008 गजानंद जी महाराज बालीपुर

फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा संवत 1976 तद्नुसार 5 मार्च 1920 को बालीपुर में त्यागमय जीवन अंगीकार कर चुके नैष्टिक ब्राह्मण पं. घनश्यामजी भार्गव के यहाँ माता कस्तुरीदेवी के गर्भ से रात्रि के प्रथम प्रहर में जो बालक पैदा हुआ था, वही बालीपुर के संत के रुप में जाना जाने लगे।

श्री श्री 1008 श्री गजानन जी महाराज का यह आश्रम धार जिलें की मनावर तहसील मुख्यालय में चार किलोमीटर पश्चिम में मनावर-डेहरी-बाग रोड़ पर स्थित है। प्रारंभ में बाबा श्री यहाँ छोटा सा आश्रम बनाकर तपस्या करते थे। जैसे-जैसे बाबाजी की ख्याति बड़ती गई, कई भक्तों ने अपनी उपयोग की भूमिदान की और आश्रम एक बड़ा आकार लेता गया । पचासो बाह्मण शतचण्डी पाठ उपरांत विशाल यज्ञ हवन संपन्न करते है। उसके बाद चैत्र नवरात्रि पर भी शतचण्डी पाठ हवन होने लगे। आश्रम पूर्ण वैदिक विधि से तैयार किया गया है । पुरे आश्रम में समान आकार की रेत का बिछावना आज भी रहता है, आश्रम में मध्य में विशाल बिल्ववृक्ष के नीचे बाबा श्री का श्रीविगृह प्रतिष्ठित है। जहाँ पूर्वकालावा श्री म भयों के साथ जते व सतसंग करते थे।

अम्बिका आश्रम बालीपुरधाम के बारे में

आश्रम की सेवाएँ

हमारे आश्रम में विभिन्न प्रकार की सेवाएँ उपलब्ध हैं, जो सभी के लिए लाभकारी हैं।

त्रैमासिक पत्रिका: पवन स्मरण

हमारे आश्रम से एक त्रैमासिक पत्रिका 'पवन स्मरण' का प्रकाशन होता है। यह पत्रिका आध्यात्मिक ज्ञान, प्रेरणा और आश्रम की गतिविधियों का एक अनमोल संग्रह है।

'पवन स्मरण' में आपको पढ़ने को मिलेगा:

  • पूज्य बाबाजी के प्रवचन और शिक्षाएँ: बाबाजी के अमूल्य विचार और उनके दिखाए गए मार्ग, जो आपके जीवन को प्रकाशित करेंगे।

  • अन्य पूज्य संतों के विचार: विभिन्न संतों के अनुभवों और ज्ञान से भरी प्रेरक कहानियाँ और लेख।

  • आश्रम की गतिविधियाँ और कार्यक्रम: बीते तीन महीनों में आश्रम में हुए सभी महत्वपूर्ण आयोजनों, सत्संगों और सेवा कार्यों की विस्तृत जानकारी।

  • आध्यात्मिक लेख और प्रेरणादायक प्रसंग: ऐसे लेख जो आपकी आध्यात्मिक यात्रा को समृद्ध करेंगे और जीवन में सकारात्मकता लाएंगे।

'पवन स्मरण' के माध्यम से हम बाबाजी के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना चाहते हैं और सभी को धर्म, सेवा और अध्यात्म से जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

आश्रम का आयुर्वेदिक औषधालय

हमारे पूज्य बड़े बाबाजी संत श्री गुरुदेव श्री श्री 1008 गजानंद जी महाराज ने जिस आयुर्वेदिक औषधालय की नींव रखी थी, वह अब भी निरंतर जनसेवा में समर्पित है। उनकी प्रेरणा और आशीर्वाद से, यह औषधालय वर्षों से लोगों को प्राकृतिक और पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचार प्रदान कर रहा है।

बाबाजी के मार्गदर्शन में, हजारों लोगों को स्वस्थ और निरोगी जीवन जीने में मदद की है। अब, उनके बताए गए मार्ग पर चलते हुए, छोटे बाबाजी संत श्री श्री सुधाकर जी महाराज ने इस पुनीत कार्य की जिम्मेदारी संभाली है।

संत श्री सुधाकर जी महाराज भी आयुर्वेद के गहन ज्ञाता हैं और उसी लगन और समर्पण के साथ औषधालय का संचालन कर रहे हैं। उनका उद्देश्य भी यही है कि हर व्यक्ति तक शुद्ध और प्रभावी आयुर्वेदिक चिकित्सा पहुंचे।

श्रीधाम बालीपुर आश्रम में, पूज्य गुरुदेव श्री श्री 1008 गजानन जी महाराज की पावन प्रेरणा से, वर्ष भर में चार मुख्य पर्व और अनुष्ठान बड़ी श्रद्धा और धूमधाम के साथ मनाए जाते हैं।

  1. गुरुदेव श्री श्री 1008 गजानन जी महाराज का जन्मोत्सव (होलिका पर्व): प्रत्येक वर्ष फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा (होलिका पूर्णिमा) के पावन अवसर पर पूज्य गुरुदेव श्री श्री 1008 गजानन जी महाराज का जन्मोत्सव बड़े ही भव्य रूप में मनाया जाता है।

  2. चैत्र नवरात्रि: इन नौ दिनों में विशेष रूप से माँ दुर्गा के पाठ और सहस्र चण्डी यज्ञ का आयोजन किया जाता है। यह आत्म-शुद्धि और देवी कृपा प्राप्ति का विशेष समय है।

  3. गुरु पूर्णिमा: यह पावन पर्व गुरु और शिष्य के अटूट रिश्ते को समर्पित है। और सहस्र चण्डी यज्ञ भी आयोजित होते हैं।

  4. शारदीय नवरात्रि: शरद ऋतु में आने वाली यह नवरात्रि भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें भी माँ दुर्गा की विशेष आराधना, माँ दुर्गा के पाठ और सहस्र चण्डी यज्ञ संपन्न होते हैं।

इन चारों आयोजनों में हजारों भक्तगण उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं, जिससे आश्रम का वातावरण दिव्य और भक्तिमय बना रहता है।

आश्रम के प्रमुख चार पर्व
An intricately designed wooden panel with a central Om symbol is illuminated softly. Below, a small altar setup includes a lit oil lamp, a brass plate, and various religious artifacts, creating a serene and spiritual atmosphere.
An intricately designed wooden panel with a central Om symbol is illuminated softly. Below, a small altar setup includes a lit oil lamp, a brass plate, and various religious artifacts, creating a serene and spiritual atmosphere.

गैलरी

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